संत संसद में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की गरिममाय उपस्थिति

*🌺पूज्य संतों ने आगामी महाकुम्भ -2025 पर किया चिंतन मंथन*

*💐स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने प्लास्टिक मुक्त महाकुम्भ का किया आह्वान*

*✨परमार्थ निकेतन की अद्भुत पहल परमार्थ त्रिवेणी पुष्प नवनिर्मित आश्रम प्लास्टिक मुक्त आश्रम का उत्कृष्ट उदाहरण*

*🌸कुम्भ, सनातन की दिव्यता व भव्यता दिव्य स्वरूप*

*💥संत संसद एक नई शुरूआत*

*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

इस दिव्य अवसर पर पूज्य शंकराचार्य राजराजेश्वर जी महाराज, आचार्य ब्रह्मस्वरूपा नन्द जी, स्वामी जी ऋषिश्वरानन्द जी, बाबा हठयोगी जी, स्वामी दीपांकर जी, आचार्य लोकेश मुनि जी, आचार्य सुशील गोस्वामी जी, आचार्य श्री विवेक मुनि जी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री इकबाल सिंह लालपुरा जी और अनेकों युवा संतों ने किया सहभाग

ऋषिकेश/नोएडा, 23 दिसम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की नोएडा में आयोजित संत संसद में गरिमामयी उपस्थिति रही। उन्होंने कहा कि संत संसद का आयोजन एक अद्भतु पहल है। संतों और महात्माओं की परम धरोहर कुम्भ मेला, जो हर बार भक्तों और साधकों के लिए एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव लाता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मैं प्रयागराज से ही आ रहा हूँ। उन्होंने महाकुम्भ-2025 की तैयारियों और उसकी दिव्यता पर गहन चिंतन-मंथन करते हुये विशेष रूप से प्लास्टिक मुक्त महाकुम्भ के महत्व पर जोर देते हुये इसके लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यह आयोजन केवल एक धार्मिक मेला नहीं, बल्कि यह सनातन धर्म की दिव्यता और भव्यता का प्रतीक है, जो विश्वभर के श्रद्धालुओं को एकजुट करता है। स्वामी जी ने यह भी कहा कि महाकुम्भ की धरती पर होने वाली साधना और तपस्या का असर न केवल भक्तों के जीवन पर, बल्कि सम्पूर्ण पृथ्वी पर होता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आगामी महाकुम्भ-2025 को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार बनाने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि महाकुम्भ में लाखों लोग एकत्रित होते हैं, और यदि इस विशाल आयोजन में प्लास्टिक का उपयोग होता है, तो यह पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है। स्वामी जी ने प्लास्टिक मुक्त महाकुम्भ की आवश्यकता की ओर सभी का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि हर व्यक्ति को इस दिशा में सक्रिय रूप से योगदान करना होगा।

स्वामी जी ने कहा कि इस समय हम अपनी परंपराओं और संस्कृतियों को बचाने के साथ-साथ पृथ्वी के पर्यावरण को भी संरक्षित करें। उन्होंने सभी साधकों और भक्तों से अपील की कि वे महाकुम्भ में आने के दौरान प्लास्टिक का उपयोग न करें बल्कि इसके स्थान पर वैकल्पिक विकल्पों का प्रयोग करें। महाकुम्भ का आयोजन भारत के सबसे बड़े और पवित्र आयोजनों में से एक है, और कुम्भ की पवित्रता और सुंदरता को बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है।

परमार्थ त्रिवेणी पुष्प अरैल, प्रयागराज में नवनिर्मित आश्रम को स्वामी जी एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं जो पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ आध्यात्मिक प्रगति की ओर भी अग्रसर है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कुम्भ मेला को सनातन धर्म की एक अद्वितीय धरोहर बताया, जो न केवल भारत बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए एक प्रेरणा है। कुम्भ मेला एक ऐसा दिव्य अवसर है जहाँ हर व्यक्ति अपने जीवन को पुनः जीने और आत्मशुद्धि की ओर अग्रसर होने का अवसर प्राप्त होता है। यहाँ हर व्यक्ति को अपने जीवन के उद्देश्य को समझने और उसे आत्मसात करने का अवसर मिलता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यह समय अपनी परंपराओं और संस्कृतियों को बचाने के साथ ही पृथ्वी को भी बचाये रखने का है। हर एक व्यक्ति की भूमिका इस दिशा में महत्वपूर्ण है, और इस महाकुम्भ में एक साथ मिलकर हम पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने का कार्य कर सकते हैं। हम सभी संत, आश्रम व अखाडें मिलकर इस दिशा में कार्य करें तो यह एक पर्यावरणीय क्रांति का प्रतीक बन सकता है।

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